संभल हिंसा ने भविष्य में क्या सावधानियां बरतने की दी है?सीख
साप्ताहिक समाचार-पत्र राजादेश के कार्यक्रम समीक्षा में इस सप्ताह हमने संभल और अजमेर में चल रहे मामले,इसके अलावा महा राष्ट्र और झारखंड,तथा संसद में हो रहे हंगामें पर चर्चा की। हमेशा की तरह इस कार्यक्रम में मौजूद रहीं है जनता ने संभल हिंसा को लेकर कहाकि अदालत ने तमाम कागजातों को देखने के बाद ही सर्वे का आदेश दिया होगा। तुमको सर्वे से क्या दिक्कत है,अदालत के आदेश को तुम चुनौती दे सकते हो। लेकिन,तुमको सड़को पर आकर हिंसा करना ठीक नहीं है। कानून को अपना काम करने दो। कानूनी तरीके से अगर प्रशासन कोई कार्यवाही करता है तो प्रशासन को रोकने के लिए पत्थर लेकर तुम लोग क्यों सामने आ रहे हो?यह वाकई में चिंता की बात है क्योंकि तमाम काम अदालत के आदेश पर हो रहे हैं।
और जानें-जनता ने कहाकि जब भी पत्थरबाजी की घटना सामने आती है तो एक ही पक्ष सामने आता है,चाहे देश के कहीं भी मामले आ रहे हो। जनता ने साफ तौर पर कहाकि देश संविधान से चलेगा और कानून के तहत ही वह सर्वे के आदेश दिए जा रहे हैं। जिन लोगों ने पत्थर उठाएं,उनके ही लोगों ने अदालत में आदेश को चुनौती दी। अब ऊपरी अदालत में मामले की सुनवाई हो रही है। तुमको धैर्य रखने की जरूरत है। तुम हमेशा तनाव पैदा करने की कोशिश क्यों करते हैं। तुम लोकतंत्र और संविधान की बात करते हो । लेकिन इसकी धज्जियां उड़ाने में तुम सबसे पहले आ जाते हो। तुम पत्थर चलाने में सबसे पहले आगे आ जाते हैं जिसके जवाब में कानून तो अपना काम करेगा। संभल में जो लोग मारे हैं,उनको तुम शहीद बता रहे हैं लेकिन वह शहीद नहीं बल्कि कानून तोड़ने वाले थे। वह हुड़देंगी थे जिन पर तुमको कार्रवाई पसंद नहीं है। उन्होंने साफ तौर पर कहाकि न्याय,पत्थर से नहीं होगा,अदालत देगी ,न्याय।
संसद सत्र को लेकर जनता ने कहाकि कहीं ना कहीं सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों नहीं चाहते कि संसद चले। जनता ने कहाकि जब से अडानी का मामला सामने आया,तभी से यह असार लगने लगे थे कि संसद का सत्र नहीं चल पाएगा। जनता ने कहाकि हैरानी की बात तो यह है कि जब संसद की कार्यवाही नहीं चल रही है तो ना इससे चिंतित सत्ता पक्ष है और ना विपक्ष। हंगामा होता है तो सदन को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया जाता है। जब तक दोनों पक्षों के मन में यह नहीं आएगा कि हमें हर हाल में सदन को चलाना है,तब तक नहीं चल पाएगा। जनता ने इस बात की आशंका जताई कि जैसे ही संसद सत्र के समाप्त होने में कुछ दिन बचे होंगे,हंगामे के बीच ही कई विधेयकों को पारित कर लिया जाएगा। हमें इसके बारे में पता नहीं चलेगा। हमारे नेता आज तक संसदीय लोकतंत्र को लेकर परिपक्व नहीं हो पाए हैं। लोकतंत्र के प्रति हमारे नेताओं को जिम्मेदार होना होगा। जनता ने बड़े भरोसे से आपको चुन के भेजा है,वहां।
महाराष्ट्र और झारखंड को लेकर जनता ने कहाकि हेमंत सोरेन को लेकर जो पहले से तय था वही हुआ। लेकिन हेमंत सोरने ने कांग्रेस को आइना दिखा दिया है। कांग्रेस से हेमंत सोरेन की बात नहीं बन पा रही है। विभागों को लेकर भी बातचीत नहीं हो पा रही है। ऐसे में देखना होगा कि झारखंड में इंडि-ठगबंधन में कितनी मजबूती आगे रहती है। जनता ने कहाकि देखना होगा कि महाराष्ट्र की कमान किसे सौंपी जाती है। देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे अभी भी रेस में बने हुए हैं। सब कुछ अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों में है। हालांकि जनता ने,इस बात को नकार दिया कि महायुती में कोई बड़ी टूट होगी। जनता ने कहाकि सरकार चलेगी,5 साल। लेकिन कहीं ना कहीं देवेंद्र फडणवीस की भूमिका आगे और भी बड़ी हो सकती है। वह भाजपा के भविष्य के नेता है। ऐसे में उन्हें महाराष्ट्र में सीमित न रहकर देश में भी आना चाहिए। देवेंद्र फडणवीस राजनीतिक विरोधियों से अच्छा निपटते हैं। ऐसे में भाजपा के पास उनकी उपयोगिता काफी ज्यादा है।