S.सोमनाथ:इसरो को ‘अगली कक्षा’ में ले जाने की जिम्मेदारी

विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) के निदेशक और इसरो के प्रमुख वैज्ञानिक S.सोमनाथ को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का नया प्रमुख बनाया गया है।

Advertisement
S. सोमनाथ।

विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) के निदेशक और इसरो के प्रमुख वैज्ञानिक S. सोमनाथ को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का नया प्रमुख बनाया गया है। सोमनाथ राकेट इंजीनियरिंग और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के विशेषज्ञ हैं। साथ ही वह अपने कामकाज के शुरूआती दौर में PSLV पर काम कर चुके हैं।सोमनाथ 22 जनवरी 2018 सेVSSC की कमान संभाल रहे थे। नए इसरो प्रमुख के रूप में अब उन्होंने के सिवन की जगह ली है।

सोमनाथ केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (LPSC) के निदेशक की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। इसके अलावा वह पोलर सैटेलाइट लांच वीकल (PSLV) के एकीकरण के लिए दल का नेतृत्व कर चुके हैं। उन्होंने भारी उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजने वाले GSLV MK-3 के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

दरअसल,GSLV (जियोसिंक्रोनल सैटेलाइट लांच वीकल) भारत में नहीं बन सकता था और पश्चिमी देशों ने इसके लिए प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराना बंद कर दिया था।S.सोमनाथ के प्रयासों के चलते इन समस्याओं के बावजूद भारत GSLV और इसके आधुनिक संस्करण बनाने में सफल रहा।

सोमनाथ का जन्म जुलाई 1963 में हुआ। उन्होंने कोल्लम के TKM कालेज आफ इंजीनियरिंग से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक और बंगलुरू के भारतीय विज्ञान संस्थान (भारतीय अंतरिक्ष संस्थान) से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में परास्नातक की डिग्री हासिल की थी। साल 1985 में वह VSSC के साथ जुड़े थे। जून 2010 से 2014 तक वह GSLV MK-3 के परियोजना प्रबंधक (प्रोजेक्ट मैनेजर) रहे थे। सोमनाथ को GSLV जैसे यान की सिस्टम इंजीनियरिंग, स्ट्रक्चरल डिजाइन, स्ट्रक्चरल डायनामिक्स और पायरोटेक्निक्स के माहिर माना जाता है।

सोमनाथ के मुताबिक, भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए व्यापार के अवसर प्रदान करने के वास्ते विकसित करने की जरूरत है और भावी पीढ़ियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में बदलाव करने की भी आवश्यकता है। उन्होंने अंतरिक्ष बजट को मौजूदा 15-16,000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 20-50, 000 करोड़ रुपए से अधिक किए जाने की आवश्यकता जताते हुए कहा,‘लेकिन अंतरिक्ष बजट में वृद्धि केवल सरकारी धन या समर्थन से नहीं हो सकती है, जैसे दूरसंचार और हवाई यात्रा जैसे क्षेत्रों में जो बदलाव हुए, वही बदलाव यहां भी होना चाहिए। इससे रोजगार के अधिक अवसर सृजित हो सकते हैं और अनुसंधान एवं विकास बढ़ सकता है।’

वह सिनेमा के बेहद शौकीन है। वह एक समय तिरुवनंतपुरम में फिल्म सोसाइटी के सदस्य भी थे। वह बेहद अच्छे वक्ता हैं और कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों में प्रमुख वक्ता रहे हैं। उनकी पत्नी का नाम वलसाला है और वह GST विभाग में काम करती हैं। उनके दो बच्चे हैं और दोनों ने इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की है।